Sukarmi Pativrata ka Ang | सुकर्मी पतिव्रता का अंग


सुकर्मी पतिव्रता का अंग | Sukarmi Pativrata ka Ang

Topic: सुकर्मी पतिव्रता का अंग (Sukarmi Pativrata ka Ang)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 60
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram

King Harishchander Katha | सुकर्मी पतिव्रता का अंग | Sukarmi Pativrata ka Ang | Audio mp3

  • Raja Harish Chander katha - Page 77 (Sat Granth Sahib)

गरीब, हरिचन्द हरिहेतं, अयोध्या नगरी रहते। सत जुग सिंध समाधि, बचन सब सत ही कहते।।293।।
गरीब, सुर नर मुनिजन देव, सकल मन नांही भाया। सब मुनि करी फिलादि, सुनो तुम त्रिभुवनराया।।294।।...


Rishi Durvasa & King Ambrish Katha | सुकर्मी पतिव्रता का अंग | Sukarmi Pativrata ka Ang | Audio mp3

  • Rishi Durvasa & Raja Ambrish Katha - Page 65 (Sat Granth Sahib)

गरीब, अंबरीस पतिवरत, एकादस ज्ञान बिचारा। जहां दुर्बासा जाइ, किया है मल्ल अखारा।।80।।
गरीब, अंबरीस अधिकार, मिले दुर्बासा र्जाइ । कीना आदर भाव, सीस चरणों धरि र्भाइ ।।81।।...