Areel | अरील


अरील | Areel

Topic: अरील (Areel)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 638
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram

अरील | Areel | Audio mp3

मरदांने मरि जांहि मनी परि मार है। ऐसा महल अनूप, पलक में छार है।।1।। जौंरा बुरी बलाय जीव जग भूंचि है। पलक पहर छिन मांहि, नंगारा कूंच है।।2।। सुरति सुहंगम नेश पेश होय बावरे, बदी बिडारो बेगि धनी कूं ध्याव रे।।3।। दमकी डोरी खोजि दरीबा खूब है। अगर दीप सतलोक अजब महबूब है।।4।। सुत्रा पुत्रा गृह नारी छार सब गातरे। हरिहां महबूब कासैं लाया नेह संगि नहीं साथ रे।।5।। हंस अकेला जाय हिरंबर हेत रे, शब्द हमारा मांनि नाम निज चेतरे।।6।। कोतिल घोड़े पीड़ि अरथ संगि पालकी। हरिहां महबूब गज गैंवर दल ठाठ निशांनी कालकी।।7।। हक्क हलाल पिछांनि वदी करि दूरि रे। याह मुरगी रब रूह गऊ क्या सूर रे।।8।। हिंदू खाहि हदीस मुसल तजि मांसरे। तूं जानैं दरियाव तिर्या है कांसरे।।9।। तीतर चिड़ी बुटेर भखे हिलवांन रे।हरिहां महबूब मुलां बंग पुकारे नहीं बहरा रहमांन रे।।10।। रमजाँनी रमजाँन ज्ञासि चोसा दिया। पकर पछाड़ी रूह कहौ यौह क्या किया।।11।। खूंनी खून गुजारि खाल कूं काढता। देखै रब रहमांन गले कूं बाढता।।12।। ऐसैं बूड़ें नाम होत है गरक रे। हरिहां महबूब कहता दास गरीब नाम निज परखि रे।।13।।1।। 

महमूंदी चैतार हजारा पहरता। सुलतानी कूं देखि बलक शाह शहर था।।1।। सोलह सहंस सुहेली पदमनी भोग रे। सतगुरु कै उपदेश लिया तजि जोग रे।।2।। तुरी अठारा लाख ऊंट गैंवर घनां। शीस महल में सैल बाग नौलख बन्या।।3।। कस्तूरी तन लेप गुलाबी गंधि रे। हरिहां महबूब खांनां खोते खूब पदमनी चंदरे।।4।। दल बादल गज ठाठ अदलि तूंमार रे।सहदांनें सहनाय महल धूमार रे।।5।। हीरे मोती मुकता जवाहर लाल रे। निश दिन खूबी खैर खजांनां माल रे।।6।। लाग्या बांन बिहंगम शब्द संबूह रे। भलका मार्या खैंचि दूहबर दूह रे।।7।। राज पाट गज ठाठ छाड़ि कफनी लई। सार ज्ञान की चोट तोरि बखतर गई।।8।। नजरीनजर निहाल जिन्दा गुरु पीर था। हरिहां महबूब कहता दास गरीब तबीब कबीर था ।9।।2।।