Rag Bihangam Barvae | राग बिहंगम बरवै


राग बिहंगम बरवै | Rag Bihangam Barvae

Topic: राग बिहंगम बरवै (Rag Bihangam Barvae)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 811
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram

राग बिहंगम बरवै | Rag Bihangam Barvae | Audio mp3

Page 814 - Sat Granth Sahib

मेरे दिल बसि रहें साहिब कबीर।।टेक।। सोवत जागत अरु सुपन में। नजरि परै परमेश्वर की तस्वीर।।1।। ज्ञान गुरजि मौले ने बकस्या। ताबै हो गये पांचैं पीर।।2।। सतगुरु समरथ भेद लखाया। जायें बसैं दरिया रे तीर।।3।। गगन मंडल में भाठी सरवै। प्यालै फिरैं अमीरस खीर।।4।। सतलोक कूं गवन करि हंसा। जहां देखौ बौह संतन की भीर।।5।। कहैं दास गरीब या में संसा नाहीं। सतगुरु तोरें जम जंजीर।।5।।।।12।।