Manglacharan | मंगलाचरण


अथ आदरणीय गरीबदास साहिब जी की अमृतबाणी

Topic: मंगलाचरण (Manglacharan)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 1

मंगलाचरण

गरीब नमो नमो सत् पुरूष कुं, नमस्कार गुरु कीन्ही। सुरनर मुनिजन साधवा, संतों सर्वस दीन्ही।।
सतगुरु साहिब संत सब डण्डौतम् प्रणाम। आगे पीछै मध्य हुए, तिन कुं जा कुरबान।।
नराकार निरविषं, काल जाल भय भंजनं। निर्लेपं निज निर्गुणं, अकल अनूप बेसुन्न धुनं।।
सोहं सुरति समापतं, सकल समाना निरति लै। उजल हिरंबर हरदमं बे परवाह अथाह है, वार पार नहीं मध्यतं।।
अनाहद मन्त्र सुख सलाहद मन्त्र, अजोख मन्त्र, बेसुन मन्त्र निर्बान मन्त्र थीर है।।
आदि मन्त्र युगादि मन्त्र, अचल अभंगी मन्त्र, सदा सत्संगी मन्त्र, ल्यौलीन मन्त्र गहर गम्भीर है।।
सोऽहं सुभान मन्त्र, अगम अनुराग मन्त्र, निर्भय अडोल मन्त्र, निर्गुण निर्बन्ध मन्त्र, निश्चल मन्त्र नेक है।।
गैबी गुलजार मन्त्र, निर्भय निरधार मन्त्र, सुमरत सुकृत मन्त्र अगमी अबंच मन्त्र अदलि मन्त्र अलेख है।।
फजलं फराक मन्त्र, बिन रसना गुणलाप मन्त्र, झिलमिल जहूर मन्त्र, सरबंग भरपूर मन्त्र, सैलान मन्त्रसार है।।
ररंकार गरक मन्त्र, तेजपुंज परख मन्त्र, अदली अबन्ध मन्त्र, अजपा निर्सन्ध-मन्त्र, अबिगत अनाहद मन्त्र, दिल में दीदार है।।
वाणी विनोद मन्त्र, आनन्द असोध मन्त्र, खुरसी करार मन्त्र, अनभय उच्चार मन्त्र, उजल मन्त्र अलेख है।।
साहिब सतराम मन्त्र, सांई निहकाम मन्त्र, पारख प्रकास मन्त्र, हिरम्बर हुलास मन्त्र, मौले मलार मन्त्र, पलक बीच खलक है।।