Topic: राग धुन (Rag Dhun)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 997
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram
आज हमारै आये संत सुजांन। तन मन धन वारौंगी प्रांन।।टेक।। चरण कमल रज डारौं शीश। मांनौं आप मिले जगदीश।।1।। संतौं की महिमा कही न जाय। अठसठि तीरथ चरणौं पाय।।2।। संतौं की महिमा अपरंपार। पूरन ब्रह्म मिले करतार।।3।। संतौं की महिमा अगम अगाध। नारद सें उधरै प्रहलाद।।4।। ध्रू भेटे नारद निरबान। अमरापुर परि रचे बिमान।।5।। संतौं की महिमा अगम अगाह। बूड़ं ते राखे गज गिराह।।6।। संतौं की महिमा निश्चल थीर। द्रोपद सुता के बढि गये चीर।।7।। संतौं की महिमा अधिक सुमेर। भीलनी के जूठे खाये बेर।।8।। संतौं की महिमा निश्चल अंक। बालमीक का बाज्या संख।।9।। संतौं की महिमा अमन अमांन। देखौ गनिका चढी बिमान।।10।। संमौं की महिमा पद गरगाप। त्रिलोचन कै पिरतिया आप।।11।। पुंडर पुर नांमा प्रवांनि । देवल फेरि छिवाय दई छांनि।।12।। काशी पुरी कबीर कमाल। गैबी बालदि आई रसाल।।13।। दीया भंडारा जन रैदास। कनक जनेऊ पद प्रकाश।।14।। संतौं की महिमां कही न जाय। पीपा कूदि परे दरियाव।।15।। दास गरीब संतन कूं सेव। चैरासी मिटि गई शुकदेव।।16।।
इति ग्रंथ साहिब।।
श्री सत्त कबीर साहिब तथा सतगुरु गरीब दास जी साहिब की दया से ग्रन्थ सम्पूर्ण हुआ।
।।सत साहिब।।