Topic: चितावनी का अंग (Chitavani ka Ang)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 982
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram
कबीर, नौबति आपनी, दिन दश लेहु बजाय। ये पुर पटन ये गली, बहुरि न देखै आय।।1।।
कबीर, जिनकै नौबति बाजती, मैंगल बंधते बारि। एकै हरि कै नाम बिन, गये जनम सब हारि।।2।।...