Topic: आदि पुराण (Aadi Puran)
Book: Sat Granth Sahib of Garib Das Ji
Page: 388
Explanation: Sant Rampal Ji Maharaj | Satlok Ashram
रामचंद्र और लक्ष्मण आये, भरत शत्रु पृथ्वी पर धाये।।
अयोध्या बासी थे रघुराई, जाकी नारी हरी रे भाई। जाके हनुमान अधिकारी, पवन पुत्रा बलवंत बहु भारी।। जाके अंगद और सुग्रीमा, साजि चढे दल बादल खीमा। जाके जाम्बुवान बलवंता, रीछ अरु बंदर चढे अनंता।। जाके नल और नील संगाती, सरबर बांधि लिये बहु साथी। जा दिन अंगद शिला फिराई, रावण दूत सबै थे भाई।। एकै दूत टर्या नहीं टार्या, रावण गर्ब किया सो हार्या। जाके पौंनी हनमंत बंका, सोतो कूद्या लंक बिलंका।। जिन नौलखा बाग उपार्या, सोतो डारि दिया मंझधारा। जिन सरबस लंक जराई, तेरी नजरि अजूं नहीं आई।। आये कारे मुखके बंदरा, सोतो डाक लगावै अधरा।। गरीब, कूदै अधर अधारगति, सैना सहित रघुबीर। रावण ऊपर साखती, सेतु बांध्या रणधीर।।37।।
बूझै गरुड़ भुशंड बियाना, मोसे कहो भेद बिधि नाना। बचन सुशील दृष्टि अनुरागा, देवतकी देह द्वार मुखकागा।
कलंगी तीन शीश तिस साजै, शब्द कुलाहल हरखि निवाजै। मधुकर बैंन सुनत हो शांति, कहो भुशंड याकी उत्पाति।...
संखों देह धरी तन योनी, नौ तत्त केका बीज न भूनी। मोक्ष मुक्ति का लख्या न भेवा, भरमे पुत्रा ब्यास शुकदेवा।।
सतगुरु मिल्या महादेव बंका, चैरासी की मिटी न शंका। अठोतर जन्म गौरी भरमाई, शिब कूं रुण्ड माल गल लाई।।...