Book: Sat Granth Sahib
Chapter: 'Kami Nar ka Ang'
Topic: Characteristics of Good & Bad Woman
Author: Saint Garibdas Ji
Language: Hindi
Video: Kami Nar Ka Ang - Narrated by Sant Rampal Ji
Kami Nar ka Ang | कामी नर का अंग
बदनारी लंगर कामिनी, ये बोले मदुरै बेत।
फैंट पड़े छोड़े नहीँ, के मगहर के कुरुछेत्र।।
बदनारी लंगर कामिनी, ये बोले मधुरे बोल।
फेट पड़े छोड़े नही, काढ़े घुगट झोल।।
बदनारि लंगर कामिनी, जामे अगिन खोट।
फांसी डारे बाह कर, वो करे लाख मे चोट।।
बदनारी नाही नारी, है जंगल का शेर ।
भाहर भीतर मार् दे, मुनिजन कर दिए जेल।।
सतगुरु हेला देत है ,सुनियो सन्त सुजान।
बदनारि पास न बैठियो, बदनारि आई खान!!
नैनो काजल डार कर, खाय लिये है हंस।
हाथो मेहँदी लाय कर, ये डूब दिये कुल वंश।।
उलटी मांग भराय कर, मन्जन कर है गात।
मीठी बोले मगन होवे, ये लावे बहुविध घात।।
क्या बेटी क्या बहन है, क्या माता क्या जोय।
बदनारि काली नागिनी, खाता हो सो खाय।।
माया काली नागिनी,आपे जाय खाय।
कुंडली मे छोड़े नही, सो बातों की बात।।
कुंडली में से निकले रैदास संग कबीर।
सुखदेव धुर्व प्रह्लाद से नही निकले रणधीर।।
कुंडली में से निकले सुल्तानी वाजीद।
गोपीचन्द ना भृतहरि, डाक् लगाई फरीद।।
जनक विदेही न उभरे नागिनी बांधी दाढ़।
नानक दादु उभरे, ले सतगुरु की आड़।।
बदनारि काली नागिनी मारत है ब्रऱ डंक ।
शब्द गारुडु जो मिले जाकु नाही शंक।।